भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के उद्भव की कहानी

भोले भंडारी बहुत दयालु है एक बार जो उनको अपना मान लेता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

आज के इस ब्लॉग में हम आपको भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के उद्भव की कहानी से रूबरू कराएंगे
महाराष्ट्र डिस्ट्रिक्ट पुणे से लगभग 110 किमी दूर काशीपुर में सहयाद्री पर्वत पर स्थित है महादेव का यह अद्भुत ज्योतिर्लिंग। घने जंगलों के बीच यह मंदिर बड़ा ही मनमोहक लगता है। इस मंदिर के पास ही भीमा नदी बहती है जो आगे चलकर कृष्णा नदी में मिलती है। अत्यंत प्राचीन होने के कारण ही इसका जिक्र हमें शिव पुराण में मिलता है।भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के स्थापित होने की कहानी जुड़ी हुई है रावण के भाई कुंभकरण के बेटे से जिसका नाम भीम था।कुंभकरण का भगवान राम ने लंका चढ़ाई के दौरान वध कर दिया था तब तक भीम का जन्म नहीं हुआ था। भीम की माता का नाम करकटी था। करकटी और कुंभकरण की मुलाकात पर्वत पर हुई थी। विवाह के पश्चात कुंभकरण लंका लौट आया परंतु करकटी उसी पर्वत पर रही। जब कुंभकरण युद्ध में मारा गया तब भीम का जन्म हुआ करकटी उसे लेकर कहीं दूर चली गई। भीम जब बड़ा हुआ तब उसे अपनी पिता की मृत्यु का रहस्य पता चला। करकटी ने बताया कि भगवान राम स्वयं विष्णु है उसकी माता पुष्यकशी और पिता करकट को भगवान विष्णु के भक्त सुतिक्ष मुनि ने मारा था। भीम को जब यह पता चला तब वह क्रोध से भर गया उसने भगवान विष्णु को हारने की ठानी। उसने 1000 साल तक भगवान ब्रह्मा जी की तपस्या की ब्रह्मा जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहा भीम ने अजय होने का वरदान मांगा साथ साथ वह सबसे शक्तिशाली हो जाए। वरदान के कारण वह शक्तिशाली हो गया था। उसने सर्वप्रथम इंद्र को हराया उसके बाद सभी देवताओं को हराकर श्री हरि को भी हरा दिया। अपने मद में चूर भीम ने पृथ्वी पर आकर चारों ओर त्राहिमाम मचा दिया। वह कहने लगा मैंने तुम्हारे विष्णु को हराया है अब मैं ही तुम्हारा भगवान हूं तुम मेरी पूजा करो उसने एक शिव भक्त राजा काम रूपेश्वर को बंदी बना लिया।काम रूपेश्वर भगवान् शिव का अनन्य भक्त था। उसने कारागृह के अंदर रहकर एक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया और उसकी पूजा अर्चना विधि विधान से करने लगा

किंतु भीम को यह पसंद नहीं आया उसने शिवलिंग को खंडित करना चाहा उसने जैसे ही अपनी तलवार शिवलिंग की और उठाई तत्काल शिवलिंग से भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए ब्रह्मांड के अधिपति शिवा और भीम में युद्ध हुआ।

भगवान शिव ने असुर भीम का वध कर दिया तब सभी देवता श्री हरी और ब्रह्मा समेत उस स्थान पर आए और उन्होंने भगवान शिव से सदा सदा के लिए लोगों के कल्याण के लिए इस स्थान पर रहने के लिए प्रार्थना की तभी से वह पार्थिव शिवलिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना गया क्यूंकि शिव शंकर ने भीम को हराकर अपने भक्तो का कल्याण किया था इस कारण इस शिवलिंग को भीमाशंकर नाम मिला।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  1. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग नागा शैली में बना हुआ है।
    शिवाजी महाराज भगवान शिव के अनन्य भक्त थे शिव में अगाध श्रद्धा होने के कारण उन्होंने यहां आने वाले सभी भक्तों के लिए अनेका-अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई इस मंदिर का शिखर नाना फडणवीस के द्वारा बनवाया गया इनका पूरा नाम बालाजी जनार्दन भानु था इन्होंने मंदिर में बड़ा सा घंटा भी बनवाया जो आज भी सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
  2. जिस प्रकार से प्रत्येक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए विशेष प्रकार का ड्रेस कोड है उसी प्रकार यहां भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने से पहले महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती पहनना अनिवार्य है।
    सावन के महीने में देश विदेश से लाखों भक्त भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आते हैं इस मंदिर के पीछे ही कुंड बने हुए हैं जिसमें सदैव पानी रहता है।
  3. मंदिर के पास ही मां पार्वती का मंदिर है जिसे कमलजा मंदिर के नाम से जाना जाता है भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद कमलजा मंदिर के दर्शन करना अनिवार्य है अथवा दर्शन पूरे नहीं माने जाते।

कहते हैं कि जो भी व्यक्ति 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम का पाठ करता है और प्रतिदिन भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है भोलेनाथ की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है तो यह थी भगवान शिव के शंकर के भीमसंकर ज्योतिर्लिंग के स्थापित होने होने की कहानी।

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