कहानी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की

ओंकार जिसके अंदर पूरा ब्रह्मांड बसता है। सर्वप्रथम भगवान शिव के मुख से ओंकार शब्द निकला जिस कारण भगवान शिव का एक नाम ओमकार पड़ा।
आज हम आपको ले चलेंगे मध्य प्रदेश के खंडवा में स्थित भगवान शिव के एक अद्वितीय ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के मंदिर में जिस पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग विराजमान है वह पूरा पर्वत ओम के आकार में है जिस कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर पड़ा। इस पर्वत पर 100 से ज्यादा छोटे–बड़े मंदिर स्थित है। कहते हैं कि हजारों साल पहले भगवान श्री राम के पूर्वज राजा मांधाता ने इस पर्वत पर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा मांधाता ने मोक्ष का वरदान मांगा और भगवान शिव से प्रार्थना की वे लोगों के कल्याण के लिए इसी पर्वत पर विराजमान हो जाए उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए वही विराजमान हो गए।

यह हाथों द्वारा निर्मित नहीं अपितु अवतरित हुई ज्योतिर्लिंग है जो धरती के गर्भ से निकली हुई है।संपूर्ण मंदिर चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है एक तरफ नर्मदा बहती है वहीं दूसरी तरफ कावेरी नदी उफान लेती है। पर्वत जहां खत्म होता है वहां यह दोनों नदियां मिलती है जिसे कावेरी नर्मदा संगम कहकर संबोधित किया जाता है।मां नर्मदा 24 घंटे भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करती हैं। इस ज्योतिर्लिंग से कुछ ही दूरी पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है इन दोनों को एक ही माना जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद ममलेश्वर के दर्शन करना अति आवश्यक है वरना दर्शन पूर्ण नहीं माने जाते। कहते है इस तीर्थ के दर्शन करने से अन्य तीर्थ के मुकाबले तीन गुना फल भक्तों को मिलता है।

मुख्य घटनाएं/महत्वपूर्ण बिंदु

  1. यह संपूर्ण मंदिर 5 फ्लोर में विभाजित है सबसे नीचे गर्भ गृह में भगवान शिव का हजारों साल पुराना ज्योतिर्लिंग स्थित है।
  2. दूसरी मंजिल पर महाकालेश्वर मंदिर स्थित है। सिद्धनाथ मंदिर के दर्शन हमें तीसरी मंजिल पर होते हैं ।चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है और अंतिम पांचवी मंजिल पर धवजेश्वर महादेव मंदिर स्थित है इसी फ्लोर पर सबसे ऊपर ध्वजा पताका लहरा रही है।
  3. इस मंदिर में अखंड ज्योति कई सालों से जल रही है।
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की सुबह दोपहर और शाम तीन बार आरती की जाती है। जिस प्रकार महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती का विशेष महत्व है उसी प्रकार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की शयन आरती का विशेष महत्व है।
  1. शाम को भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है शयन आरती के उपरांत मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
  2. गर्भ गृह में भगवान शिव और माता पार्वती के खेलने के लिए चौसर बिछाई जाती है। जब सुबह मंदिर का दरवाजा खोला जाता है तब चौसर बिखरी हुई मिलती है।
  3. शिवरात्रि,सोमवती अमावस्या,नर्मदा जयंती और गंगा दशहरा के अवसर पर हजारों-लाखों भक्त गण पूरे भारतवर्ष से ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आते हैं।

भोले भंडारी की लीलाए अद्भुत है जो भी उनसे सच्चे मन से पूर्ण भक्ति भाव से कुछ भी मांगता है वह उसे अवश्य मिलता है। आप भी इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाइए आप पाएंगे कि एक सकारात्मक ऊर्जा को आप महसूस कर पा रहे हैं।

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